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अक्षय तृतीया 2020

अक्षय तृतीया भारत में हिन्दुओं द्वारा मनाये जाने वाले सबसे बड़े पवित्र और शुभ दिनों में से एक है। यह दिन शुभ कार्य, सफलता और भाग्य लाभ का प्रतीक है इस दिन से जो भी कार्य शुरू होता है वो कार्य विजयपूर्ण हो जाता है ।

अक्षय तृतीया या आखा तीज वैशाख मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है तथा इस दिन कोई भी शुभ कार्य के लिए कोई महूरत की जरूरत नहीं होती । पुराणों के अनुसार यह बहुत ही पुण्यदायी तिथि है इसीलिए इस दिन दान पुण्य की मान्यता है ।

अक्षय तृतीया तरीक एवं महूरत

इस साल एक्स्क्या तृतीया 2020 26 अप्रैल को मनाई जाएगी

अक्षय तृतीया पूजा मुहूर्त – 05:48 से 12:19

सोना खरीदने का शुभ समय –  05:48 से 13:22

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अक्षय तृतीया के दिन भगवन श्री विष्णु तथा लक्ष्मी जी कि पूजा का महत्व होता है तथा विष्णु जी और लक्ष्मी जी कि आराधना कर इस दिन को मनाया जाता है ।

इस दिन भगवान् विष्णु के अवतार भगवान परशुराम जी का भी जन्म हुआ था इसीलिए इस दिन को परशुराम जयंती के नाम से भी मनाया जाता है ।

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आइये पढ़ते है अक्षय तृतीया का महत्व तथा इस दिन की मान्यता ।

  • इस दिन माँ गंगा का स्वर्ग से धरती पर अवतरण हुआ था।
  • आज ही के दिन माँ अन्नपूर्णा का जन्म भी हुआ था।
  • द्रोपदी को चीरहरण से कृष्ण ने आज ही के दिन बचाया था।
  • आज ही के कृष्ण और सुदामा का मिलन दिन हुआ था।
  • भारत के उड़ीसा में यह दिन किसानों के लिए भी शुभ मन जाता है इसी दिन से किसान अपने खेतों को जोतना शुरू करते  है ।
  • कुबेर को आज ही के दिन खजाना मिला था।
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  • सतयुग और त्रेता युग का प्रारम्भ आज ही के दिन हुआ था।
  • ब्रह्मा जी के पुत्र अक्षय कुमार का अवतरण भी आज ही के दिन हुआ था।
  • प्रसिद्ध तीर्थ स्थल श्री बद्री नारायण जी का कपाट आज ही के दिन खोला जाता है।
  • एवं केदारनाथ धाम के पठ भी अक्षय तृतीया के दिन खुलते है
  • आज ही के दिन से महर्षि वेदव्यास जी ने महाभारत लिखना शुरू किया था ।
  • बृंदावन के बाँके बिहारी मंदिर में साल में केवल आज ही के दिन श्री विग्रह चरण के दर्शन होते है। अन्यथा साल भर वो बस्त्र से ढके रहते है। इसी दिन महाभारत का युद्ध समाप्त हुआ था।
ऐसा कहा जाता है कि इस दिन जैन के प्रथम तीर्थंकर श्री ऋषभदेव जी भगवान ने 13 महीने का कठीन निरंतर उपवास (बिना जल का तप) का पारणा (उपवास छोडना) इक्षु (गन्ने) के रस से किया था। और आज भी बहुत जैन भाई व बहने वही वर्षी तप करने के पश्चात आज उपवास छोड़ते है और नये उपवास लेते है। और भगवान को गन्ने के रस से अभिषेक किया जाता है।
अक्षय तृतीया हिन्दू एवं जैन धर्म में मनाया जाने वाला बहुत ही पवन पर्व है इस दिन को सभी हर्षोल्लास के साथ मानते है ।

आप सभी को अक्षय तृतीया की बहुत सारी शुभ कामना ।

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