ब्रज की होली एक बहुत ही ख़ास होली है जो ब्रज धाम यानी मथुरा और वृन्दावन में खेली जाती है । वृन्दावन एक धार्मिक स्थल है जिस को भगवान् कृष्ण की नगरी से जाना जाता है साथ ही इसको ब्रज की भूमि के नाम से भी जाना जाता है । क्या आप जानते है वृन्दावन को कृष्ण की भूमि क्यों कहा जाता है क्यूंकि वहां भगवान् कृष्ण ने अपना बचपन बिताया है । वृन्दावन शहर यमुना नदी के किनारे बसा हुआ है और ये मथुरा से १५ किलोमीटर की दुरी पर स्थित है ।
नोट:- इस साल होली 29 मार्च को मनाई जाएगी । परन्तु कोरोना वायरस के चलते इस बार बहुत सी जगह पे होली खेलना सख्त मना है ।
ब्रज की होली बहुत ही प्रसिद्ध है क्यूंकि यहाँ के लोग होली अपनी परम्पराओं और रिवाज़ों के अनुसार खेलते है । यहाँ केवल रंगों से होली नहीं खेलते बल्कि यहाँ फूलों से लठों से भी होली खेली जाती है यहाँ की होली देखने व खेलने पुरे विश्व से लोग आते है ।
यहाँ होली का त्यौहार के कुछ दिन पहले से ही शुरू हो जाता है तथा यहाँ होली विभिन्न तरीकों से खेली जाती है तो आइये पढ़ते और जानते ब्रज की अनोखी होली के बा1रे में
१. लठमार होली , बरसाना
बरसाना गॉंव मथुरा से कुछ ही दुरी पर स्थित है और यह राधा जी का भी गाँव हे यह गाँव लठमार होली के लिए प्रसिद्ध है यहाँ महिलाएं आदमियों को लठ से मारकर होली मानती है । यहाँ कृष्ण जी राधा जी को होली पर रंग लगाने आये थे ।
२. नंदगाव की होली
अगले दिन की होली नंदगाव में मनाई जाती है कृष्ण जी जब बरसाना से राधा जी को रंग लगाकर लौटे थे तो अगले दिन राधा जी ने कृष्ण जी के गाँव जाकर उन्हें रंग लगाया था । इसीलिए यहाँ नंदगाव में अगले दिन लठमार होली खेली जाती है ।
३. फूलों की होली
फूलों की होली बहुत ही अनोखे ढंग से खेली जाती है यह होली वृन्दावन के बांके बिहारी मंदिर में खेली जाती है जहाँ लोग रंगों की जगह फूलों से होली खेलते है और बहुत ही ख़ुशी से यह त्यौहार मानते है ।
४. शोब यात्रा, मथुरा और वृन्दावन
यह एक रंग बिरंगा जूलूस है जिसमे गाड़ियां फूलों से सजी होती है यह जूलूस विश्राम घाट से शुरू होके मथुरा वृन्दावन की गलियों से निकलता है और होली के द्वार पे ख़तम होता है । यहां रस्ते भर लोग रंग बिरंगे रंगों से होली खेलते हुए जाते है तथा बच्चे राधा कृष्ण की वेश भूषा में दिखते है ।
५. रंगों की होली बांके बिहारी मंदिर में
मंदिर की परम्पराओं के अनुसार इस दिन भगवान् कृष्ण को सफ़ेद कपड़ों में बहार लाया जाता है जहाँ उन्हें गुलाल और रंग अर्पित किये जाते है इसके बाद यहाँ पर पुजारी रंग और फूल बरसा कर होली की शुरुवात करते है सभी भक्त रंगों तथा गुलाल की होली खेलते है ।
कैसे पहुंचे
मथुरा खुद ही रेल मार्ग से जुड़ा हुआ है और वृन्दावन यहाँ से १२ किलोमीटर की दुरी पर स्थित है मथुरा रेलवे स्टेशन से टैक्सी एवं रिक्शा हर समय उपलब्ध रहते है और यहाँ राज्य परिवहन बस भी मिलती है ।
यदि आपको होली खेलने का आनंद लेना है तो इस साल होली पर वृन्दावन जरूर आएं और ब्रज की होली का आनंद ले । इस साल होली २१ मार्च को है और १५ मार्च से ब्रज में होली की धूम शुरू हो जाएगी ।
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